जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा थक चुके ग्रामीणों ने श्रमदान कर सड़क की मरम्मती की
आसन्न चुनाव में वोट बहिष्कार की बात कही
जमुआ/जन की बात
शनिवार को प्रखंड के बेलकुंडी गांव के ग्रामीणों ने खुद कुदाल, फावड़ा उठाया, जेसीबी, ट्रेक्टर मंगवाई और सड़क मरम्मती में लग गए। कहा अब जनप्रतिनिधियों के भरोसे नहीं रह सकते।
किसी ने कहा है कि –
“हर चुनाव के बाद, हम ख़्वाब नया बुनते हैं,
जिंदा लाश हैं हम गिद्ध नया चुनते हैं॥”
कुछ ऐसा हीं महसूस कर रहे हैं प्रखंड के बेलकुंडी गांव के लोग। यहां का मुख्यपथ वर्षों से खराब है। आवागमन बाधित है। बरसात में लोगों का जीना और भी दुभर हो जाता है। गांव में एंबुलेंस भी आने में दिक्कत होती है। ऐसे में गांव के बीमार व्यक्तियों व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने, आने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। सड़क मरम्मती को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों तक से गुहार लगाई लेकिन सिर्फ़ आश्वासन मिला। वोट में घर घर भटकने वाले जनप्रतिनिधि अब लाख बुलाने के बाद भी गांव नहीं आते हैं।
शानिवार को बेलकुंडी के आशीष सिन्हा, बृजेंद्र यादव, संदीप सिन्हा, अमन सिन्हा, ललन यादव, मनीष यादव, सुशील पाठक, अमर पाठक, वीरेंद्र तुरी, वीरेंद्र यादव, रोहित पाठक, पारस यादव, राजेश सिन्हा, गुड्डू सिन्हा समेत दर्जनों ग्रामीणों ने खुद फावड़ा, कुदाल लेकर सड़क मरम्मती में लग गए। इस सम्बंध में बेलकुंडी के आशीष सिन्हा ने कहा कि सड़क वर्षों से छतिग्रस्त है। इसको लेकर जमुआ विधायक केदार हाजरा से लेकर केंद्रीय राज्य शिक्षामंत्री व यहां की सांसद महोदया अन्नपूर्णा देवी से दर्जनों बार फरियाद लगाई गई, सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए, अधिकारियों से मिन्नत की, क्षेत्र के जिप सदस्य, मुखिया, पंसस सभी को दुखड़ा सुनाया लेकिन किसी ने कोई तव्वजो नहीं दी। बरसात में यह सड़क और जानलेवा हो गई। कहा हमारे गांव का यह मुख्य पथ है। हमारा आने जाने का साधन यही मात्र एक सड़क है। ऐसे में बीमार लोगों, वृद्धजनों, महिलाओं, स्कूल जा रहे बच्चों को इतनी तकलीफ़ होती है। बता नहीं सकते। बताया कल हीं एक युवक सड़क पार करने में बाईक समेत खेत में गिर गया। काफी चोटें आई। किसी तरह उसे उठाकर ईलाज कराया गया। बताया ऐसा आए दिन होता है, आखिरकार हमलेगों ने आपस में चंदा कर के जेसीबी और ट्रेक्टर मंगवाई और खुद इसकी मरम्मती में जुटे हुए हैं। एक और युवक बृजेंद्र यादव ने बताया कि अब सिस्टम और जनप्रतिनिधियों से मोह भंग हो गया है। कहा बहुत उम्मीद के साथ हमारा गांव वर्तमान विधायक और सांसद महोदया को चुनाव में दिल खोलकर स्पोर्ट किया था। सोचा था ये लोग भी गांव का ख्याल रखेंगे लेकिन आज जब पूरा गांव कष्ट में है और ये लोग कान में तेल डालकर सोए हैं। चुनाव में बड़ी बड़ी बातें और वायदे कर गली-गली, घर-घर घूमने वाले इन लोगों को अब गांव आने में शर्म लग रही है। कहा कि अब हम गांव वालों ने भी यह ठाना है कि आसन्न चुनाव में हमलोग किसी को वोट नहीं करेंगे या तो नोटा पर वोट पड़ेगा या तो हम वोट का बहिष्कार हीं करेंगे। गांव के अन्य युवकों में भी जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश दिख रहा था।