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गिरिडीह जिला अंतर्गत आज 20 बच्चों को प्रतिमाह 2000 हजार रूपए का लाभ दिया गया:- उपायुक्त.

*● माता पिता की मृत्यु की वजह से जिन बच्चों का जीवन यापन कठिन है या एचआईवी/ऐड्स/लेप्रोसी/एवं शत-प्रतिशत विकलांगता को ध्यान में रखते हुए केंद्र द्वारा प्रायोजित पारिवारिक पालन-पोषण एवं देख-रेख प्रायोजन योजना के तहत किया जा रहा है लाभान्वित:- उपायुक्त…*

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*● गिरिडीह जिला अंतर्गत आज 20 बच्चों को प्रतिमाह 2000 हजार रूपए का लाभ दिया गया:- उपायुक्त…*

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गिरिडीह/जन की बात

कोरोना की दूसरी लहर में कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। ऐसे बच्चों जिनके माता पिता गंभीर बीमारी से ग्रसित है या जिन बच्चों के माता पिता की मृत्यु हो चुकी हैं या जो असक्षम है या गरीब परिवार से है वैसे बच्चों की देख-रेख, संरक्षण एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से जोड़ उन्हें लाभान्वित किया जाना है। ऐसे बच्चों की उचित परवरिश हो और बच्चे किसी गलत हाथ में न चले जाएं। *साथ ही ऐसे बच्चों को तस्करों से बचाने के लिए महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा संचालित प्रायोजन योजना के तहत लाभान्वित क़िया जाना है। गिरिडीह जिला अन्तर्गत वैसे सभी बच्चों को चिन्हित कर उक्त योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। साथ ही ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता और असक्षम हैं या गंभीर बीमारी से पीड़ित है जिसमें एचआईवी/एड्स/लेप्रोसी एवं शत-प्रतिशत विकलांगता भी शामिल है अथवा माता-पिता अथवा दोनों कारागृह में है। बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी या अन्य दुर्व्यवहार से प्रभावित बच्चों अथवा ऐसे बच्चे जिसे किसी भी प्रकार की पुनर्वास सहायता की आवश्यकता है। ऐसे बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना के तहत चिन्हित किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज 20 बच्चों को उक्त योजना के तहत प्रतिमाह 2000 हजार रूपए की राशि तीन वर्षों हेतु देने हेतु चिन्हित किया गया है।*

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*● जिन बच्चों के माता पिता नहीं है या जो असक्षम परिवार से है वैसे बच्चों का जीवन बेहतर गुजरे, इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव उचित प्रयास किए जा रहे हैं:- उपायुक्त….*

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*● बच्चों के जीवन स्तर में सुधार लाने, उनकी चिकित्सा, पोषण, शिक्षा एवं विकास संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संबंधित परिवार को अनुपूरक सहायता या वित्तीय सहायता सरकार देगी:- उपायुक्त…*

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कोविड से अनाथ हुए बच्चों के पालन पोषण, देख रेख व उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा कुछ योजनाएं चलाई जा रही है। इस संदर्भ में उपायुक्त ने बताया कि गिरिडीह जिले में कोविड से अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित कर उक्त योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। इसी क्रम में महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा बाल संरक्षण ईकाई के अंतर्गत प्रायोजन(स्पॉन्सरशिप) योजना के तहत आज जिले के 20 बच्चों को प्रायोजन एवं पालन पोषण देख-रेख योजना से आच्छादित किया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को बेहतर लालन-पालन के लिए सरकार द्वारा तीन वर्षों हेतु प्रति बच्चा दो हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक मदद की जा रही है।

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*● माता पिता की मृत्यु की वजह से जिन बच्चों का जीवन यापन कठिन है, ऐसे 20 बच्चों को प्रतिमाह 2000 रुपए की राशि दी जा रही है:- उपायुक्त…*

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इसके अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि जिले में माता पिता की मृत्यु की वजह से जिन बच्चों का जीवन यापन कठिन है, गरीब व असक्षम परिवार के बच्चों को प्रतिमाह 2000 रुपए की राशि दी जा रही है। ऐसे में आज इस योजना से 20 बच्चों को लाभान्वित किया गया ताकि उन्हें उचित तरीके से पालन पोषण व शिक्षा मुहैया कराई जा सकें। सभी बच्चों का नाम इस प्रकार है:- 1. नीरज कुमार 2. अंकुश कुमार वर्मा, 3. आदित्य वर्मा, 4. अंशु रानी 5. एहसान सेख 6. अंकित वर्मा, 7. अमित कुमार वर्मा 8. शिवम् दास 9. पूनम कुमारी 10. सीमा कुमारी , 11. सागर कुमारी, 12. आरती कुमारी, 13.महेंद्र कुमार , 14. शैलेन्द्र कुमार , 15. अक्षय कुमार, 16. सगुफा खातून, 17. सबिना प्रवीण, 18. वसीम अकरम, 19. ममता हेंब्रम, 20. कंचन कुमारी शामिल हैं।

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*● प्रायोजन (Sponsorship) के तहत इन परिवार के बच्चों को मिलेगा लाभ:-* केंद्र प्रायोजित पारिवारिक पालन-पोषण एवं प्रायोजन योजना के तहत सरकार इन बच्चों का भरण पोषण करेगा। इस योजना के तहत माता पिता की मृत्यु की वजह से जिन बच्चों का जीवन यापन कठिन है, गरीब व अक्षम परिवार से कम-से-कम तीन बच्चों को लाभ मिल सकता है जबकि उम्र सीमा 18 वर्ष तक निर्धारित है। ऐसे बच्चों को बेहतर लालन-पालन के लिए सरकार प्रति बच्चा दो हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक मदद करेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका, जिस परिवार की वार्षिक आय 75 हजार रुपये तक होगी, कोविड से जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गई या माता-पिता अपने बच्चे का परित्याग कर चुके हैं और वे रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं, ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता अक्षम या गंभीर बीमारी से ग्रसित है, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी या दु‌र्व्यवहार से प्रभावित बच्चे, पुनर्वास की जरूरत से जुड़े बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा।

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