गुप्त सूचना पर गौ तस्करों के वाहन जब्त
जमुआ के खरगडीहा क्षेत्र से जुड़ा है गौ तस्करी का तार
नहीं हो पा रही है निगरानी, क्षेत्र के लोगों में है आक्रोश
जमुआ/बिजय चौरसिया
बीते शनिवार रात को जमुआ पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर गौ तस्करी कर रहे दो पिकअप वाहनों समेत कई पशुओं को जब्त की है। हालांकि पुलिस के अनुसार दोनों वाहनों के चालक और अन्य तस्कर भागने में सफल रहे। पुलिस टीम का नेतृत्व प्रशिक्षु एसडीपीओ नीलम कुजूर कर रहीं थी। बताई गुप्त सूचना पर यह करवाई मिर्जागंज-नवडीहा पथ के टांड़बीघा के समीप अल्कासिया जंगल के पास की गई है। सूचना मिली थी खरगडीहा से कुछ तस्कर दो वाहनों में पशुओं को डालकर गौ-तस्करी को निकले हैं।
गौ तस्कर हमेशा से इस रूट का उठाते हैं लाभ
गौ-तस्करी का सबसे का सबसे सेफ़ जोन बनता जा रहा है जमुआ। बताया जाता है यहां से बंगाल, बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों में भी खपाई जाता है गौ-धन। यहां से कभी चतरो-चकाई रूट तो कभी मिर्जागंज-नवडीहा पथ से यहां से गौ-तस्करी धड़ल्ले से जारी है। इधर की सड़कें भी चौड़ी और अच्छी है। ख़ास यह है कि इस रूट में थाने की चौकसी भी कम रहती है जिसका लाभ गौ-तस्करों को मिलता रहा है।
इससे पहले एक रात को खरगडीहा बाजार में गौ-तस्करी के लिए ले जा रही गौ-धन को लेकर खूब ड्रामा हुआ था। खरगडीहा के कुछ युवायों ने टोह लगाकर एक बड़े ट्रक से ले जाए जा रहे 17 गौ-धन को खरगडीहा बाजार में रंगेहाथों पकड़ा था। गौ-धन के पकड़े जाने के बाद खरगडीहा में कुछ तनाव सा माहौल बनने लगा था कि कुछ बुद्धिजीवियों के हस्तक्षेप से मामला सलटा गया। गाड़ी को छुड़ा कर फिर चतरो-चकाई पथ में भेज दी गई थी। लेकिन स्थानीय युवाओं ने इसको पचा नहीं पाया। अंततः प्रशासन के एलर्ट होने के बाद उस समय के जमुआ थाना प्रभारी दिलेश्वर कुमार के एफर्ट और देवरी थाना प्रभारी उत्तम उपाध्याय के संयुक्त प्रयास से गौ-तस्करी वाहन को देवरी थाना अन्तर्गत चतरो के पास पकड़ा गया था। मवेशियों को जब्त कर मिर्जागंज-खरगडीहा गौशाला में हीं रखा गया था। कांड संख्या 134/18 के अंतर्गत सात लोगों पर झारखण्ड गौ-हत्या अधिनियम एवम पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला भी देवरी थाना में दर्ज किया गया था। दोनों थाना की पुलिस ने मौके पर ही तीन अभियुक्तों को हिरासत में भी ली थी। बताया जा रहा है कि अधिकांश अभियुक्त इसी क्षेत्र के हैं।
इसी तरह कुछ दिन पहले नवडीहा में दर्जन-भर गायों को नवडीहा पुलिस ने ग्रामीणों के अहयोग से ज़ब्त की, इसी तरह कुछ दिन पहले इसी पथ के माहतोतांड(टांडबीघा) में स्थानीय युवाओं ने बहुत मशक्कत कर एक पिकयप वाहन से गौकसी के लिए ले जा रहे गायों को बचा लेने में सफलता अर्जित की। सूचना के बाद इस कार्य में स्थानीय पुलिस की भूमिका भी सार्थक रही। लेकिन लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से स्थानीय लोगों में आक्रोश भी बढ़ता है।
लोगों में गौ-तस्करी को लेकर आक्रोश
लोगों का मानना है कि इस पथ से दिन में कई बार गौ-तस्करी के वाहन गुजरते हैं लेकिन उसे रोकने और बंद करने के लिए प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं है। जमुआ आएएसएस के युवाओं ने कहा कि प्रशासन को इसको लेकर विशेष सावधानी और सुरक्षा बरतनी चाहिए। सिर्फ़ जनता के भरोसे रहने से नहीं होगा। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि रात के समय में इस रूट में चेकनाका की ब्यवस्था कर सभी आने जाने वाली वाहनों की सघन चेकिंग करनी चाहिए। कहा गौ-तस्करों पर कठोर कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इसके लिए कुछ नियम कानून भी बदलने की आवश्यकता हो तो सरकार को इस पर शीघ्रता से पहल करनी चाहिए।
स्थानीय लोगों की संलिप्ता से इंकार नहीं
बताया जाता है कि तस्करी में कुछ स्थानीय लोगों की भी संलिप्ता और शेयर रहता है लेकिन ये पर्दे के पीछे से अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं। ये तस्कर चंद रुपयों के कारण तस्करी को लेकर कुछ भी एहतियात नहीं बरतते हैं। दूध देने वाली गायों और खेतों, बैलगाड़ियों में काम आने वाले बैलों को भी ये नहीं बख्शते। बताया जाता है ये जमुआ-देवरी के दूरदराज़ गांवों से ही जानवरों की ब्यवस्था करते हैं। इन जानवरों को खरीदने के लिए तस्करों द्वारा कई दलाल गांवों में छोड़े जाते हैं जो गाय, बैलों को खरीदकर तस्करों को उपलब्ध करवाते हैं। तस्करों द्वारा इन जानवरों को किसी सुनसान जगह में रखा जाता है और फिर रात के अंधेरे में जानवरों को किसी पिकयप या 407 वाहन में लौड़ कर इस रास्ते से बंगाल भेजा जाता है। सूत्र बताते हैं कि इन तस्करों का स्थानीय थानों से भी अच्छे सम्बंध होते हैं, बावजूद ये अपने कार्य में गोपनीयता को लेकर पूरी सावधानी बरतते हैं। बताया जाता है कि ब्याप्त बेरोजगारी और इस धंधे में कमाई अच्छी होने के कारण युवाओं का एक कुनबा इस कार्य में रात-दिन लगे रहते हैं।
तस्करी से छूटे जानवरों के पालन की ब्यवस्था नहीं
गौ-तस्करी में लगाम लगाने में सबसे बड़ी समस्या तस्करी से छुड़ाए गए जानवरों के पालन की भी है। वैसे तो जमुआ प्रखंड में जमुआ-देवघर पथ पर ही मिर्जागंज-खरगडीहा गौशाला भी अपनी बहुत लंबी-चौड़ी बाउंड्री के रूप में है। लेकिन जानवरों के पालन को लेकर कोई माकूल ब्यवस्था यहां विकसित नहीं हो पाई है।