पेचीदगियों के जाल में उलझा है जमुआ जनवितरण प्रणाली
गोदाम में अनाज नवंबर का लेकिन लाभुकों को मिला रहा है अगस्त का
जमुआ के पंचायतों में नहीं पहुंचा है सितंबर और अक्टूबर का खाद्यान्न
उपायुक्त की पहल पर भी कोई फलाफल नहीं
जमुआ/जन की बात
बिचौलियों, कलाबाजारियो और भ्रष्ट पदाधिकारियों के मकड़जाल में उलझा है जमुआ की जनवितरण प्रणाली। जिले के वरीय पदाधिकारियों द्वारा इस पर मुक्कमल करवाई के अभाव में इस गठजोड़ के कारनामों से गरीबों के निवालों पर यहां डाका है। इस गठजोड़ द्वारा प्रखंड के लाभुकों का तकरीबन 25 हजार क्विंटल खाधान्न डकारा जा चुका है। स्थिति यह है कि विभाग और सरकार द्वारा जमुआ को नवंबर माह का भी खाधान्न मिल चुका है लेकिन यहां के लाभुकों को अभी अगस्त माह का खाधान्न दिया जा रहा है।
खाधान्न नवंबर का, कार्डधारकों को मिल रहा है अगस्त का
यहां यह बताते चलें कि प्रखंड के जनवितरण दुकानदारों द्वारा कार्डधारकों से अंगूठा नवंबर माह का लिया जा रहा है लेकिन अनाज अगस्त और कहीं कहीं सितंबर माह का दिया जा रहा है। लाख विरोध के बाद भी स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यहां बताते चले कि इस मसले को ठीक करने खुद उपायुक्त जमुआ गोदाम का निरीक्षण किए। पदाधिकारियों से मिले। लोगों से फीडबैक लिए लेकिन फलाफल शून्य हीं निकला। फिलवक्त कार्डधारकों को बीते अगस्त, सितंबर और अक्टूबर का अनाज नहीं दिया गया है और ई-पॉश मशीन में उसके अंगूठे ले लिए गए हैं। यानी अब कार्डधारक ये शिकायत भी नहीं कर सकते कि उन्हें खाधान्न नहीं मिला है।
जिला आपूर्ति पदाधिकारी को अपना निर्देश वापस लेना पड़ा
इधर जिला आपूर्ति पदाधिकारी समदानी के निर्देश पर दो दिन पहले जमुआ गोदाम में नवंबर का आया हुआ खाधान्न जनवितरण दुकानदारों के यहां पहुंचाने की कवायद की गई। जनवितरण दुकानों को यह निर्देश दिया गया कि यह अनाज नवंबर माह का है और कार्डधारकों को भी नवंबर माह का अनाज कह कर हीं देना है। जनवितरण दुकानदारों द्वारा जब यह पूछा गया कि बीते अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह का अनाज का क्या होगा। पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि इन माह का अनाज नहीं मिल पाया है इसे बाद में एडजस्ट किया जायेगा। बताया जाता है कि जनवितरण दुकानदारों द्वारा नवंबर माह का अनाज लेने से इंकार कर दिया गया। कहा गया कि पहले हमें अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह का अनाज दिया जाए तभी हम नवंबर माह का अनाज लेंगे। ख़बर है कि जनवितरण दुकानदारों के यहां अनाज की गाडियां खड़ी रही। जनवितरण दुकानदारों ने अनाज लेना स्वीकार नहीं किया। अंततः जिला आपूर्ति पदाधिकारी को अपने फैसले को वापस लेना पड़ा। नवंबर माह के लिए आया अनाज अगस्त माह के लिए वितरण होने की सहमति बनी। प्रखंड की स्थिति यह है कि यहां कोई किसी की बात न मानता हुआ दिखता और न हीं समझता है।
गरीबों की हो रही है हकमारी
जमुआ के लाखों गरीब कार्डधारकों के निवाले की हकमारी कर यहां कुछ लोगों के द्वारा की जा रही है। जनवितरण दुकानदारों के द्वारा कार्डधारकों से ई-पॉश मशीन में एडवांस कई महीनों का अंगूठा ले लिया जा रहा है। अनाज कई महीनों का नहीं दिया गया है। कार्डधारकों को यह समझाया जाता है कि अंगूठा नहीं लगाने से अनाज लेप्स कर दिया जायेगा।
नहीं होती हैं कोई करवाई
इस प्रखंड में शिकायतें चाहे जितनी आती हों। भ्रष्टाचार के चाहे जितने साक्ष्य हों लेकिन यहां किसी पर कोई करवाई नहीं होती है। यही कारण है कि यहां बगैर किसी डर के कालाबाजारी का खेल बेखौफ चलता रहता है। अभी बीते माह जमुआ प्रखंड गोदाम से बगैर रोस्टर के अनाज भेजा गया। ग्रामीणों ने पकड़ा। पुलिस अनाज को जब्त की। अनाज की गाड़ी से फॉल्स चलान मिला। कथित चलान में जहां इस प्रखंड से कई माह पहले विरमित हुए गोदाम प्रबंधक का नाम दर्ज मिला। वहीं चलान की तिथि भी एक माह पहले की दर्ज थी। पूरा प्रकरण मीडिया में हाइलाइट हुआ। वरीय पदाधिकारियों से शिकायत की गई। कई अलग अलग टीमें भी आई जांच को लेकिन इन कथित जांच से यहां के कार्डधारकों को कोई लाभ नहीं मिला। चीजें बदस्तूर उसी तरह जारी है। कार्डधारकों को अपना खाधान्न लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। उस पर यहां के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी बहुत राहस्मय बनी हुई है।