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ग्रामीणों के धरने का हुआ असर, पदाधिकारियों ने खदान पर रोक लगाई

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ग्रामीणों के धरने का हुआ असर, पदाधिकारियों ने खदान पर रोक लगाई

 

जमुआ/जन की बात

दो दिनों से चले आ रहे ग्रामीणों के धरने पर शनिवार देर शाम को विराम लग गया। जमुआ बीडीओ अशोक कुमार और थाना प्रभारी विपिन कुमार ने ग्रामीणों को आचार संहिता की बात बताई और धरने को समाप्त करवाया। कहा कि आचार संहिता खत्म होने के बाद विधिवत जांच के बाद हीं यहां खदान की शुरुआत की जाएगी। शनिवार देर शाम जमुआ थाना क्षेत्र के दलिया गांव पहुंचकर दोनों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि बगैर सम्पूर्ण जांच के यहां कोई खदान संचालन का कार्य नहीं होगा। विदित हो कि प्रखंड के धुरगड़गी पंचायत के दलिया गांव में पत्थर खदान को लेकर विवाद हो गया है।

क्या है मामला?

दरयसल पंचायत के मुखिया झरी महतो व अन्य के द्वारा धुरगड़गी पंचायत के दलिया में पत्थर खदान का लीज करवाया गया है। गांव में इस लीज को लेकर विवाद है। मुखिया व अन्य लीज धारक जब वहां स्थल पर पत्थर खुदाई का कार्य करने जाते हैं ग्रामीण उसे रोकने पहुंच जाता है। यह सिलसिला कई महीनों से चला आ रहा है। इस बीच ग्रामीणों ने अपनी शिकायत को लेकर कई अन्य पदाधिकारियों के साथ साथ उपायुक्त के पास भी पहुंचे। जिला उपायुक्त ने ग्रामीणों की मांग की गंभीरता को समझते हुए एक जांच कमिटी भी बनाई। निर्देश था कि सारे बिंदुओं की जांच कर के 17अगस्त तक कमिटी को रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन कमिटी द्वारा यह कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। इस बीच डुमरी उपचुनाव को लेकर पूरे जिले में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। सप्ताह दिन पहले मुखिया और अन्य लीज धारकों के द्वारा फिर से खदान में कार्य की सुगबुगाहट की गई। पत्थर तोड़ने की मशीनें मंगाई गई। अन्य इंतजाम किए गए। ग्रामीणों द्वारा लीजधारकों की मंशा को देखते हुए खदान के पास हीं एक टेंट डालकर धरना प्रदर्शन की फिर से शुरूआत कर दी गई। ग्रामीण खुदाई न करने देने की बात पर अड़े रहे।

क्या कहते हैं ग्रामीण

धरनार्थी दलिया गांव की महिला पुरुषों का कहना है कि गांव के बगल में खदान होने से हमारे जलस्रोतों यथा नदी, तालाब, कुंआ, चपकाल इत्यादि के जल स्तर बहुत नीचे चला जाता है। खदान में पत्थर तोड़ने को लेकर विस्फोटक लगाने से घर की दीवारों में दरार पड़ जा रही है। गांव का मंदिर भी छ्तिग्रस्त हो गया है। बताया हमारा गांव कृषि प्रधान है। हम सभी किसान हैं और खेती से हीं अपनी और अपने परिजनों की जीविका चलाते हैं। जलस्रोत कम होने और प्रदूषण फैलने से हमारे ऊपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। हमारे मवेशियों के लिए भी समस्याएं उत्पन्न होती है। इसलिए हम अपने गांव के बगल में कोई खदान नहीं चलने देंगे। कहा जो लोग पहले खदान का विरोध करते थे वो अब पाला बदल खदान के हिस्सेदार हो गए हैं।

क्या कहते हैं लीजधारक और मुखिया

मुखिया झरी महतो व अन्य लीजधारकों का कहना है कि चूंकि हमें लीज सारे मापदंडों की जांच के बाद हीं मिला है तो ऐसे में हम खदान स्थल पर खुदाई करेंगे हीं। जहां तक ग्रामीणों का आरोप है वह बिल्कुल हीं निराधार है।

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