होम झारखण्ड झारखण्ड में खनन और उसके दुष्प्रभाव को लेकर सेमिनार 

झारखण्ड में खनन और उसके दुष्प्रभाव को लेकर सेमिनार 

0

झारखण्ड में खनन और उसके दुष्प्रभाव को लेकर सेमिनार

रांची/जन की बात

सूबे में खनन और उसके दुष्प्रभाव को लेकर रांची के मरकरी रेसीडेंसी में शनिवार को एक राज्यस्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया। एसएलआईसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का समन्वयन जेएमएसीसी द्वारा किया गया। सेमिनार में राज्य के विभिन जिलों से पहुंचे वक्ताओं द्वारा खनन, विस्थापन और दमन पर आधारित नीति को लेकर अपनी बेबाक राय रखे गए। बताया किस तरह आज़ादी के बाद से ही विस्थापन पर आधारित आर्थिक मॉडल चलता आ रहा है जो कई सरकारों के बदलने पर भी नहीं बदला। विस्थापन के साथ ही प्रशासनिक दमन चक्र भी निरंतर चलता रहा है, खासकर आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक जनता के साथ। झारखण्ड के इतिहास में कई बड़े गोलीकांड इसी आर्थिक नीति को थोपने के लिए पुलिस द्वारा किये गए। साथ ही यह भी बताया गया की झारखण्ड के गठन के बीस साल पश्चात भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। हेमंत सरकार ने चुनाव से पहले कई ऐसे वादे किये जैसे इचा खरकई बाँध को नहीं बनाया जायेगा, या पारसनाथ में सी.आर.पी.एफ कैम्प नहीं बनाये जायेंगे, लेकिन सत्ता में आने के एक वर्ष पश्चात हम देख सकते हैं कि इन मुद्दों पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं। क्षेत्र में दलित-आदिवासियों पर दिन प्रतिदिन प्रशासनिक जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। कई सी.आर.पी.एफ कैम्प बनाने से जनता के बीच आतंक का माहौल है। उनपर भी झूठे मुक़दमे लगाकर कई महीने तक जेल में बंद रखा गया और यातनाएं दी गयीं। जिलों से जंगल पर निर्भर जनता के भी दमन का जिक्र किया। कई जगह वन अधिकार पट्टा नहीं दिया जा रहा है या अनुचित तरीके से अयोग्य लोगों को दिया जा रहा है। वन्य आश्रय बनाने हेतु विस्थापन और फारेस्ट गार्ड द्वारा दमन के मामलें भी सामने आये। एक तरफ विस्थापित जनता को कभी ऐसे उद्योगों में नौकरी या अन्य लाभ नहीं मिलते हैं, दूसरी तरफ उद्योग से उत्पन्न प्रदुषण का भी खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ता है। विस्थापन, दमन और आर्थिक नीतियों से जुड़े कई सवाल उठाये। वक्ताओं ने बताया की विस्थापन भी एक प्रकार की हिंसा है- इसे मानसिक हिंसा या सामाजिक हिंसा कहा जा सकता है। विस्थापन का सबसे बड़ा दर्द महिलाओं को ही झेलना पड़ता है। कार्यक्रम को चतरा के बालेश्वर उरांव, रामकुमार उरांव, रूपलाल माहतो, जोधन माहतो, राजेश, दुमका से लोकनाथ मरांडी, खोखन मरांडी, धनबाद से शाहदेव रजत, समीद खान, रवि रजवार, सुभाष घायल, हजारीबाग से प्रीतफल हंसदा व टीम ने अपनी बातों को रखा।

कोई टिप्पणी नहीं है

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!
Exit mobile version